This website uses cookies to ensure you get the best experience on our website.

महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम के 197 संदिग्ध मिले, 172 में इंफेक्शन की पुष्टि और 7 की मौत

User Rating: 0 / 5

Star InactiveStar InactiveStar InactiveStar InactiveStar Inactive
 

पुणे। महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का पहला मरीज 9 जनवरी को सामने आया था। 12 फरवरी तक यानि बीते 33 दिन 197 मरीज सामने आ चुके हैं। इसमें से 172 में सिंड्रोम की पुष्टि हो चुकी है।
राज्य में इससे 7 मौत हुई हैं। इनमें 50 साल से ऊपर के 3 मरीज और 40 साल या उससे कम के 4 मरीज शामिल हैं। वर्तमान में 50 मरीज ICU और 20 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
पुणे नगर निगम (PMC) से 40 मरीज पाए गए हैं। पीएमसी से जुड़े गांवों से 92 मरीज हैं। 29 पिंपरी चिंचवाड़ और 28 पुणे ग्रामीण से हैं। 8 मरीज अन्य जिलों से हैं। 50 आईसीयू में और 20 वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
एक अधिकारी के मुताबिक GB सिंड्रोम के सबसे ज्यादा मामले नांदेड़ के पास स्थित एक हाउसिंग सोसाइटी से हैं। यहां पानी का सैंपल लिया गया था, जिसमें कैंपिलोबैक्टर जेजुनी पॉजिटिव पाया गया। यह पानी में होने वाला एक बैक्टीरिया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की है कि नांदेड़ और उसके आसपास के इलाकों में GB सिंड्रोम प्रदूषित पानी के कारण फैला है। पुणे नगर निगम ने नांदेड़ और आसपास के इलाके में 11 निजी आरओ सहित 30 प्लांट को सील कर दिया है।
महाराष्ट्र के अलावा देश के 4 दूसरे राज्यों में GB सिंड्रोम के मरीज सामने आ चुके हैं। तेलंगाना में ये आंकड़ा एक है। असम में 17 साल की लड़की की मौत हुई थी। पश्चिम बंगाल में 30 जनवरी तक 3 लोगों की मौत हुई।
राजस्थान के जयपुर में 28 जनवरी को लक्षत सिंह नाम के बच्चे की मौत हुई थी। वो कुछ समय से GB सिंड्रोम से पीड़ित था। परिजन ने उसका कई अस्पताल में इलाज कराया था। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन का कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है।
डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है।