अमेरिका ने 116 भारतीयों को जबरन लौटाया: पुरुषों को हथकड़ी-बेड़ियों में बांधकर भेजा
अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 116 भारतीयों को जबरन भारत भेज दिया गया. अमेरिकी एयरफोर्स का विशेष विमान ग्लोबमास्टर शनिवार देर रात 11:30 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा.
इस बार डिपोर्ट किए गए लोगों में महिलाओं और बच्चों को छोड़कर सभी पुरुषों के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां डाली गई थीं. एयरपोर्ट पर ही उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात कराई गई. करीब 5 घंटे तक वेरिफिकेशन के बाद पुलिस की गाड़ियों में सभी को घर भेज दिया गया. इस दौरान मीडिया से बातचीत करने की अनुमति नहीं दी गई.
इससे पहले 5 फरवरी को 104 भारतीयों को जबरन लौटाया गया था. उनमें भी पुरुषों और महिलाओं को बेड़ियों में जकड़कर लाया गया था. अब तक कुल 220 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है. तीसरा बैच आज (16 फरवरी) रात 10 बजे पहुंचेगा, जिसमें 157 लोग होंगे.
शनिवार को डिपोर्ट किए गए 116 भारतीयों में सबसे ज्यादा 65 पंजाब से, 33 हरियाणा से, 8 गुजरात से, जबकि उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से 2-2 लोग शामिल हैं. इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से भी 1-1 व्यक्ति को लौटाया गया.
होशियारपुर के दलजीत सिंह, जो डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचे थे, ने इस बात की पुष्टि की कि डिपोर्ट किए गए लोगों को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर भेजा गया. वहीं, डिपोर्ट होकर आए पटियाला के दो युवक संदीप और प्रदीप को पुलिस ने एक कत्ल केस में पूछताछ के लिए डिटेन किया है.
पटियाला के गाजेवास गांव के सोहजबीर को उसके परिवार ने अमेरिका भेजने के लिए 3 एकड़ जमीन गिरवी रखकर और उधार लेकर 60 लाख रुपए खर्च किए. एजेंट ने उसे पहले एक साल तक दुबई में रखा और फिर 23 जनवरी को अमेरिका का बॉर्डर क्रॉस करवाया. लेकिन अब वह डिपोर्ट होकर वापस आ गया.
अमृतसर के जश्नप्रीत सिंह को अमेरिका जाने की उम्मीद थी. वह पहले स्पेन पहुंचा, फिर जनवरी में अमेरिका के रिफ्यूजी कैंप में रखा गया, लेकिन आखिरकार उसे डिपोर्ट कर दिया गया.
गुरदासपुर के गुरमेल सिंह को अमेरिका भेजने के लिए उनके पिता अजायब सिंह ने एजेंट को 35 लाख रुपए दिए, जो ब्याज पर लिए गए थे. लेकिन बेटा दो साल बाद डिपोर्ट होकर लौट आया.
राजपुरा के मलकीत सिंह ने बताया कि उन्होंने बेटे गुरदत्त को अमेरिका भेजने के लिए 40 लाख रुपए दिए, लेकिन एजेंटों ने उनके खिलाफ ही धोखाधड़ी की FIR दर्ज करा दी.
अमृतसर के मंगल सिंह ने अपने पोते जसनूर को अमेरिका भेजने के लिए दो बड़े ट्रक और प्रॉपर्टी बेचकर 54 लाख रुपए जुटाए, फिर 11.5 लाख रुपए और कर्ज लेकर एजेंट को दिए. लेकिन अब पोता डिपोर्ट होकर वापस आ गया, और पैसे डूबने का डर सता रहा है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमृतसर एयरपोर्ट पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि डिपोर्ट किए गए लोगों की देखभाल और घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पंजाब सरकार ने ली है.
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब हरियाणा और गुजरात के लोगों की संख्या ज्यादा थी, तो विमान को अहमदाबाद या अंबाला की बजाय पंजाब में क्यों उतारा गया? उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि अमृतसर को डिटेंशन सेंटर न बनाया जाए.
पंजाब सरकार के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार ने अपने लोगों के लिए कैदियों वाली बस भेजी, जबकि पंजाब सरकार ने अच्छे वाहन उपलब्ध कराए. उन्होंने हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज से अपील की कि वे बेहतर बसें भेजें.
यह पहली बार था जब अमेरिका ने भारतीय अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल किया. इससे पहले 4 फरवरी को एक अमेरिकी सैन्य विमान सैन एंटोनियो से रवाना हुआ था, जिसमें 205 अवैध भारतीयों की पहचान कर उन्हें डिपोर्ट किया गया था.
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 2023 तक अमेरिका में 7 लाख से अधिक भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं. यह संख्या मेक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद तीसरे स्थान पर आती है.
पिछले तीन वर्षों में औसतन 90,000 भारतीयों को अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश में पकड़ा गया. इनमें से अधिकतर लोग पंजाब, गुजरात और आंध्र प्रदेश से थे.
डोनाल्ड ट्रम्प ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ही अवैध अप्रवासियों को निकालने का आदेश दिया था. उन्होंने दावा किया कि अवैध अप्रवासी अपराध बढ़ाते हैं और अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां छीन रहे हैं.
ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले कानून ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर साइन किए. इस कानून के तहत अमेरिकी फेडरल अधिकारियों को अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेने और डिपोर्ट करने का अधिकार दिया गया है.