उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस पावर लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई 68.2 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी और इनवॉइसिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में की गई है।
ED अधिकारियों के मुताबिक, अशोक पाल से गुरुवार रात दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय में लंबी पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद उन्हें प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार (11 अक्टूबर) को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां ईडी उनकी रिमांड की मांग कर सकती है।
यह मामला ओडिशा की कंपनी बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, जिस पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का आरोप है।
ED की जांच में सामने आया कि बिस्वाल ट्रेडलिंक ने 8% कमीशन लेकर फर्जी गारंटी तैयार की थी, जिससे रिलायंस एनयू बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) लिमिटेड जैसी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।
फर्जी गारंटी को सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) में जमा किया गया था। जांच में यह गारंटी नकली पाई गई, जिसकी कुल राशि 68.2 करोड़ रुपए थी।
ED की जांच में चौंकाने वाले खुलासे
एजेंसी ने बताया कि फर्जी दस्तावेजों और बैंक गारंटी के जरिए पैसे गलत तरीके से ट्रांसफर किए गए।
इस पूरी प्रक्रिया में कई अनडिस्क्लोज्ड अकाउंट्स का इस्तेमाल हुआ। साथ ही, टेलीग्राम के डिसअपीयरिंग मैसेज फीचर का उपयोग करके सबूत मिटाने की भी कोशिश की गई।
जांच एजेंसी को संदेह है कि, इस फर्जीवाड़े के जरिए करोड़ों रुपए की अवैध कमाई छिपाई गई।
अगस्त 2025 में ईडी ने अनिल अंबानी से करीब 10 घंटे पूछताछ की थी। इसके बाद मुंबई और अन्य जगहों पर 35 लोकेशनों पर छापेमारी हुई थी। यह कार्रवाई 17,000 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ी थी।
CBI ने यस बैंक फ्रॉड केस में पहले ही अनिल अंबानी, राणा कपूर और उनके परिवार के खिलाफ दो चार्जशीट फाइल की थीं। आरोप है कि यस बैंक के फंड्स को रिलायंस ग्रुप की वित्तीय रूप से कमजोर कंपनियों में निवेश किया गया और इसके बदले में कपूर फैमिली की कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया।
बैंकों और एजेंसियों की लगातार कार्रवाई
जून 2025: SBI ने RCOM और अंबानी के लोन को 2,929 करोड़ रुपए के फ्रॉड में डाला।
10 जुलाई: केनरा बैंक ने फ्रॉड टैग हटाया।
8 अगस्त: बैंक ऑफ इंडिया ने 725 करोड़ रुपए को फ्रॉड घोषित किया।
4 सितंबर: बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी फ्रॉड घोषित किया।
24 जुलाई: ED ने 35 लोकेशनों पर छापेमारी की थी।
अगस्त में ED ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर को भी 3,000 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड केस में गिरफ्तार किया था। अब CFO अशोक पाल की गिरफ्तारी इस केस में एक और बड़ा कदम मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी अब रिलायंस ग्रुप के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है। जांच एजेंसी का मानना है कि यह एक “सुनियोजित कॉर्पोरेट फ्रॉड” था, जिसमें कई कंपनियों और लोगों की भूमिका हो सकती है।